Shubhanshu Shukla की ऐतिहासिक उड़ान: Axiom-4 मिशन में मूंग, मेथी और डायबिटीज पर होगा रिसर्च

25 जून 2025, नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से एक ऐतिहासिक मिशन लॉन्च हुआ, जिसका हिस्सा बने भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla। Axiom-4 मिशन के तहत वे SpaceX के Crew Dragon कैप्सूल से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर निकले हैं। दो हफ्तों तक चलने वाले इस मिशन में वे बतौर पायलट 60 वैज्ञानिक प्रयोगों का हिस्सा बनेंगे, जिनमें से 7 भारत के लिए खास हैं।

Axiom-4 मिशन: शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में, मूंग-मेथी से लेकर डायबिटीज तक पर रिसर्च

स्पेस में मूंग, मेथी और माइक्रोएल्गी की ग्रोथ पर रिसर्च

Axiom-4 मिशन में कई बायोलॉजिकल रिसर्च शामिल हैं। Shubhanshu Shuklaअंतरिक्ष में मूंग और मेथी के बीजों की वृद्धि पर प्रयोग करेंगे, जिससे यह समझा जा सके कि space farming भविष्य में संभव है या नहीं। इसके अलावा ICGEB द्वारा डिज़ाइन किया गया प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में microalgae growth को स्टडी करेगा, जो भविष्य में space food source बन सकते हैं।

मांसपेशियों की मरम्मत और डायबिटीज पर खास प्रयोग

ISRO और Myogenesis द्वारा किए जा रहे एक प्रयोग में शुभांशु muscle stem cells का विश्लेषण करेंगे, ताकि यह समझा जा सके कि गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में शरीर की मांसपेशियों पर क्या असर होता है।

वहीं Suite Ride नामक एक और महत्वपूर्ण प्रयोग में Continuous Glucose Monitor (CGM) के जरिए अंतरिक्ष में blood sugar monitoring की जाएगी। इसका लक्ष्य भविष्य में diabetic patients को भी अंतरिक्ष यात्रा योग्य बनाना है।


👩‍💻 टेक्नोलॉजी जीनियस माने जाते हैं शुभांशु

शुभांशु को मिशन में manual control की ट्रेनिंग दी गई है, जिससे किसी तकनीकी गड़बड़ी की स्थिति में वह यान को खुद संभाल सकें। NASA की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन ने उन्हें “Technology Genius” कहा है और उनकी मौजूदगी को सुरक्षा का प्रतीक बताया है।


🌍 भारत के लिए गौरव का क्षण

1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष जाने वाले पहले भारतीय हैं। वह गगनयान मिशन के भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। लखनऊ के रहने वाले शुभांशु ने 2006 में वायुसेना जॉइन की थी और उनके पास 2,000 से अधिक flying hours का अनुभव है।