7 अद्भुत कारण जो बताते हैं Narak Chaturdashi का महत्व और इसकी दिव्यता

Narak Chaturdashi: अंधकार से प्रकाश की ओर
हर साल दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली Narak Chaturdashi, जिसे Chhoti Diwali भी कहा जाता है, केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
इस साल 2025 में Narak Chaturdashi 20 अक्टूबर (सोमवार) को मनाई जाएगी।
Narak Chaturdashi का मुख्य उद्देश्य यह सिखाना है कि हम अपने भीतर की नकारात्मकता, अहंकार और भय को खत्म करके जीवन में प्रकाश और शांति ला सकते हैं।
पौराणिक कथा और Narak Chaturdashi
कहानी के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर नामक असुर का वध किया था। नरकासुर ने लोगों में आतंक फैला रखा था और निर्दोषों को बंद कर रखा था।
भगवान कृष्ण ने देवी सत्यभामा के साथ मिलकर उसे हराया और दुनिया को उसके अत्याचार से मुक्त कराया।
इसी कारण से यह दिन अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से नरक चतुर्दशी
Narak Chaturdashi सिर्फ धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि आत्मिक जागृति का भी प्रतीक है।
1. सुबह-सुबह अभ्यंग स्नान (तेल स्नान) करने से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं।
2. दीपक जलाना अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और भक्ति की ज्योति जगाने का प्रतीक है।
3. यह पर्व हमें सत्य, धर्म और सकारात्मक सोच की ओर ले जाता है।
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आधुनिक जीवन में Narak Chaturdashi का संदेश
आज की तेज़-तर्रार जिंदगी में यह पर्व हमें याद दिलाता है कि असली खुशी बाहरी चमक-दमक में नहीं बल्कि आंतरिक प्रकाश में है।
1. क्षमा और सकारात्मक सोच का महत्व।
2. बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अच्छाई की जीत निश्चित है।
3. परिवार और समाज में प्रेम और भक्ति का दीप जलाना।
Narak Chaturdashi के 7 अद्भुत संदेश
1. अंधकार चाहे जितना गहरा हो, एक दीपक उसे मिटा सकता है।
2. अहंकार और क्रोध से मुक्ति ही सच्ची विजय है।
3. अपने भीतर के नरकासुर (नकारात्मकता) का वध करें।
4. स्वच्छता और स्नान सिर्फ शरीर के लिए नहीं, मन के लिए भी ज़रूरी है।
5. दीपक जलाना केवल परंपरा नहीं, आत्मिक ऊर्जा का प्रतीक है।
6. यह दिन आत्म-निरीक्षण और कृतज्ञता का अवसर है।
7. जीवन में प्रकाश फैलाना ही असली पूजा है।
Narak Chaturdashi हमें यह सिखाता है कि हर व्यक्ति के भीतर अंधकार और प्रकाश का युद्ध चलता है। जब हम सत्य, भक्ति और करुणा को चुनते हैं, तो हम अपने भीतर के नकारात्मकता के “नरकासुर” को हराते हैं। यही इस पर्व का असली संदेश है — “अंधकार से प्रकाश की ओर यात्रा।”
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